...

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ख़ुशी महंगी होती है
उजाड़ कर खुशियाँ को मेरी
क्यों उजड़ा चमन बनाते हो!
कुछ पल तो ख़ुशी से जीने देते
क्यों इश्क को आजमाते हो!
कल इश्क करना सिखाया तुमने -
"कह कर साथ निभाना है "!
अब एक मसला लेकर दूरियां
बढ़ाते हो!
कैसे समझाऊं तुम्हें मेरी भी
कुछ हदे हैं,
कैसे सीमाओं को लांघू,
तुम तो हर वक़्त बातों को
मनवाते हो!
सपने बने तुमसे, तुम्हीं जीने कि
उम्मीद बने!
फिर मेरे दिल के जख्मो पर क्यों ठेंस
लगाते हो!
एक एक समझ मिल कर संसार
बन जाता!
इश्क कि किताब मे हमारा भी
नाम जुड़ जाता!
मगर दिल कि बात तुम भी मान
कहाँ पाते हो!
न समझ बन कर तुम दर्द क्यों
बढ़ाते हो!
अगर है इश्क तो अब आजमाना
छोड़ दो!
मर्यादा कि दहलीज से कदम
बढ़ाना छोड़ दो!
है तकलीफ गर इस नासमझ
इश्क से तो,
यूँ न करो दौर गमों का, पल पल
मरना छोड़ दो!
तुम खुद के लिए जिओ
मुझे समझाना छोड़ दो!!!!!!

© sangeeta ki diary