...

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आधी अधूरी बातें
आधी अधूरी बातें करके जा रहे हो तुम।
जाने वफा क्यों ऐसे मुझे सता रहे हो तुम।

किस बात से खफा हो जरा ये तो बताओ,
यूं बेरुखी कर मुझसे क्या जता रहे हो तुम।

गैरों के पास जाना मुझसे बनाकर दूरी,
आखिर क्यों मुझे ऐसे जला रहे हो तुम।

जो ख्वाब में भी मैंने सोचा नहीं था वो अब,
हां जानकर वो दिन अब दिखा रहे हो तुम।

पास होकर भी लगे की मिलों की है दूरियां,
मेरी जान मुझसे दूरियां क्यों बढ़ा रहे हो तुम।
© Ank's