...

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पहले जैसा कुछ भी नही अब
पहले जैसा कुछ भी नही अब,
ना तुम हो ना में हु,

पहले जैसा कुछ भी नही अब,
ना वो "रातें" जो में तुम से मांगा करता था,
ना वो "राते" जो तुम मेरी याद में जागा करती थी।

पहले जैसा कुछ भी नही अब,
ना वो बेकरारी जो तुम्हे मुझे देख ने को थी,
ना वो बेकरारी जो मुझे तुम्हे महसूस करने को थी।

पहले जैसा कुछ भी नही अब,
ना वो आइना जिस में "तुम्हारा अक्स" जो खुद में देखा करता था,
ना वो आइना जिस में तुम अपनी "आंखों" में मुझे देखा करती थी।


पहले जैसा कुछ भी नही अब,
ना वो वादे साथ रहने के जो में तुमसे किया करता था,
ना वो वादे जो तुम मुझ से निभाने को कहा करती थी।

पहले जैसा कुछ भी नही अब,
ना वो प्यार जो "तुम" मुझ से किया करती थी,
ना वो प्यार जो "में" तुम से जताया करता था।

पहले जैसा कुछ भी नही अब,
ना वो जिंदगी हे जो तुम्हारे साथ होने पे हुआ करती थी,
ना वो मौत होगी, जो तुम्हारी बाहों में होती।

पहले जैसा कुछ भी नही अब,
ना तुम हो, ना में हु।

मगर हा....,

अब पहले जैसा कुछ हे तो सिर्फ...,
वो यादें हे जो तुम्हारे दिल में होगी,
और
तुम्हारे "सपने" जो मेरी आंखों में हे।

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