तेरा अक्स....
असर ये कैसा तेरी बातों का, मुझपे साथिया देख नज़र आता है।
मैं देखती हूँ आईना जब भी, मुझमें ही तेरा अक्स नज़र आता है।।
क्यों लगता है किरदार तेरा यूँ, जैसे चंदन हो कान्हा के चरणों का।
पाकीज़गी तेरी पाकर सनम, बेजुबां इश्क़ भी हो मोअत्तर जाता है।।
क्यों...
मैं देखती हूँ आईना जब भी, मुझमें ही तेरा अक्स नज़र आता है।।
क्यों लगता है किरदार तेरा यूँ, जैसे चंदन हो कान्हा के चरणों का।
पाकीज़गी तेरी पाकर सनम, बेजुबां इश्क़ भी हो मोअत्तर जाता है।।
क्यों...