...

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अनजान पथिक
अनजान पथिक से मत पूछो
उसे जाना है किधर
मत पूछो उसका हाल कब, क्यों ,क्या ,कैसे हुआ
वो बता ही नही पाएगा
गर बता दिया तो फिर से भटक जायेगा
ये उसकी खुद की यात्रा है
खुद ही संभाले जीवन यात्रा का रथ चला करता है
कहां किसी के कहने से भाग्य प्रारब्ध का लिखा बदला करता है
कुछ करना चाहते हो अगर
तो बस एक बार बैठ जाना कुछ दूर उससे
कह देना हल्के से इतना बस
समय ही तो है बदल ही जायेगा
विश्वास रखो सब ठीक हो जायेगा।