...

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"ना जाने क्यों 💕
न जाने कितनी
अठखेलियां
खेलती है मेरी आंखों से
इन दिनों ये
नींद

न जाने किन लम्हों को
ढूंढती
ये सूनी गहरी
आंखें
खाली सा मन
खाली बिस्तर
लम्बी रात
और
वो गीले से
पलों की बस
सौंधी - सौंधी सी
खुशबू
बस अब रातें यूँ ही
गुजरती है ..
कभी जाग के तो
कभी - कभी
यादों संग..!!

#मेरी_रचना✍️
© preet_90aii💞