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जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
पर अब शायद थक गए है हम
अब नहीं हम में बिल्कुल भी दम
एक शांति पूर्ण अहसास
अटूट विश्वास
का सहयोग फिर से मुझे दौड़ाएगा
एक उम्मीद मुझे दिलवाएगा
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
हमको उड़ना सिखाएगा।
© shivani jain
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