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ये ज़िन्दगी
शिकवा नहीं कोई ज़िन्दगी से,
खुशियों से मरहूम,
किया इस ज़िन्दगी ने ।
की है फूलों की बौछार कहीं,
बरसाई सुख की सौगात कहीं,
कांटे क्यों आये मेरे हिस्से में,
क्या था ऐसा,मेरे नसीब में,
जो मुझे परीक्षाओं ने मुझे घेरा था?
मर्यादाओं के पालक,
देवों के देव श्रीराम,
दिखलाओ मुझे राह मंजिल की,
जिससे पा जाऊं मैं अपना मुकाम।
© mere ehsaas
खुशियों से मरहूम,
किया इस ज़िन्दगी ने ।
की है फूलों की बौछार कहीं,
बरसाई सुख की सौगात कहीं,
कांटे क्यों आये मेरे हिस्से में,
क्या था ऐसा,मेरे नसीब में,
जो मुझे परीक्षाओं ने मुझे घेरा था?
मर्यादाओं के पालक,
देवों के देव श्रीराम,
दिखलाओ मुझे राह मंजिल की,
जिससे पा जाऊं मैं अपना मुकाम।
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