...

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बात मेरी।
उदासी का कोई चेहरा नहीं होता ,
कोई कैसी का कहरा नहीं रहता,
दर्द है दिल मैं पर अखियां नहीं बहता ,
इस जालिम दुनिया को हर कोई नहीं सहता।

देखली सबको कितने सच्चे है ,
ख्वाब आधे है , रिश्ते कच्चे है ,
अपने आंसू छुपाते यहां सब ही बच्चे है ,
कितने सवाल ना जाने ये जमाना पूछे है ।

खामोश नजरें है ,क्यू पता नहीं,
बाकी है सब , कुछ मिटा नहीं,
अभी तू मेरे ,नजरों से हटा नहीं ,
माना वक्त का था सब कसूर ,
पर , इस दिल की भी तो कोई खाता नहीं।

दूर है मुस्कान मेरी,पर खोया नहीं हूं ,
पास हूं सबकी ,किसीको पाया नहीं हूं,
मान लिया आखिर खो दिया सब को ,
उदास हूं ,पर रोया नहीं हूं ।