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ऐतबार हैं जब तक ख़ुद पर
ऐतबार हैं जब तक ख़ुद पर
यूं ही क्यों हम हार जाएंगे
ज़िंदगी इक दफा के लिएं
हम ज़िंदगी ना फ़िज़ूल में निसार जाएंगे
हम चाहेंगे वो पाएंगे मुसाफ़िर
ये सफ़र ना हमारे बेकार जाएंगे

ज़ख़्म भूला दें
अश्क रोक लें
जो पाने की चाहत
उसमें जान झोंक लें

दुनिया की बातों को
नजरअंदाज कर
मुस्कान रख लबों पर
दिल को खुशमिजाज कर

वक्त पे इनके हर सवाल का ज़वाब देंगे
बस अभी सब्र रखकर चलता चल
जो हैं जोश तेरे दिल में ठहरा
बस जुनून संग सीढियां चढ़ता चल

रहना अदाओं के जाल से दूर
बस ध्यान सिर्फ़ मंज़िल पर हों
ज़ेहन ओ दिल में सब्र रख
और यलगार यहां मुश्किल पर हों

जितना ख़ुद को मेहनत से जलाएंगा
फ़िर सूरज की तरहां तु चमक जाएंगा
मुकाम पर अपने...