मंजिल की राह
रहे हौसला मन में बस इतना सा ही,
ना रुके हमारे कदम किसी मोड़ पे भी।
भले हल ना मिले किसी एक का भी,
बस अड़े रहे हम इसी सिद्दत से ही।
इंतज़ार अब कल के सूरज की नही,
डूबना चाहते हैं हम इसी चांदनी में...
ना रुके हमारे कदम किसी मोड़ पे भी।
भले हल ना मिले किसी एक का भी,
बस अड़े रहे हम इसी सिद्दत से ही।
इंतज़ार अब कल के सूरज की नही,
डूबना चाहते हैं हम इसी चांदनी में...