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कैसे उन्हें अपना बुलाएं।
क्या हो जो अपने ही दगा दे जाएं,
क्या हो जो चाहने वाले बेवफा हो जाएं,
क्या हो जो तुम्हें जिंदगी सिखाने वाले,
आज खुद अपना ही सबक भूल जाएं।
हो जाता है अंधेरा जब सूरज डूबते ही,
तो रोशनी खातिर अंधेरे में चराग जलाएं,
अलबत्ता क्या करे कोई उस अंधेरे का जब,
किस्मत दिन दहाड़े तुझे तारे दिखाएं।
जिन्दगी के गुर सीखते सीखते आज,
कैसा ये सवाल आ खड़ा हुआ सामने,
जवाब दे सबको रुसवा कर दें या फिर,
इस जिंदगी के इम्तिहान में फैल हो जाएं।
गैरों को अपना बनाना सीखा ऐसा हमने,
बखूबी दो पल में किसी का दिल जीत जाएं,
गिने न जा रहे अब घाव पीठ के अपने,
कैसे अपने अपनों को अब अपना बुलाएं।
© ✍️शैल
क्या हो जो चाहने वाले बेवफा हो जाएं,
क्या हो जो तुम्हें जिंदगी सिखाने वाले,
आज खुद अपना ही सबक भूल जाएं।
हो जाता है अंधेरा जब सूरज डूबते ही,
तो रोशनी खातिर अंधेरे में चराग जलाएं,
अलबत्ता क्या करे कोई उस अंधेरे का जब,
किस्मत दिन दहाड़े तुझे तारे दिखाएं।
जिन्दगी के गुर सीखते सीखते आज,
कैसा ये सवाल आ खड़ा हुआ सामने,
जवाब दे सबको रुसवा कर दें या फिर,
इस जिंदगी के इम्तिहान में फैल हो जाएं।
गैरों को अपना बनाना सीखा ऐसा हमने,
बखूबी दो पल में किसी का दिल जीत जाएं,
गिने न जा रहे अब घाव पीठ के अपने,
कैसे अपने अपनों को अब अपना बुलाएं।
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