...

7 views

इंतज़ार कब तक
राह-ए-उल्फ़त में तेरा इंतज़ार कब तक
खिलेंगे गुल और आएगा बहार कब तक

चाहत का असर भी चढ़ गया इस क़दर
इक़रार किया मैंने, तेरा इज़हार कब तक

हर पल, हर दिन गुज़ारा इंतज़ार में तेरे
थक गई आँखें मेरी, तेरा दीदार कब तक

चाहा था दिल से तुझें और चाहता रहूँगा
मेरी इस मोहब्बत से दर-किनार कब तक

महफ़िल जमा है और इस महफ़िल में
मैं रह जाऊँ तन्हाई का शिकार कब तक
© Raj
#shreerajmenon