तुम कैसे हो...?
//खुला ख़त//
तुम कैसे हो!! ठीक तो हो न...?
इस कठिन दौर में, जब ज़िन्दगी और मौत एक सवाल है,
क्या अब भी नाराज़गी, नाक पर बैठी है तुम्हारे?
आने वाला कल, जो अब बढ़ रहा है,
अपने अल्हड़ता की और,
और कब तक छुपाओगे मुझसे, और कैसे..?
बता ही दो न उसे सारा सच,
की हम में भी मोहब्बत थी,
इक ख़ुलूसी थी आंखों में,
बता दो न वो सच, जो दुनिया से छुपाया तुमने, और मैंने,
की था वो इक़रार ऐ मोहब्बत..
कोई बेवज़ह, नही करता ऐसे माना सब कुछ तुम्हारा,
पर बैठ कर समझते उन सारी परेशानियों को,
जो खाती रहती थी तुम्हे, तुम्हारे ही बनाये ताने बाने,...
तुम कैसे हो!! ठीक तो हो न...?
इस कठिन दौर में, जब ज़िन्दगी और मौत एक सवाल है,
क्या अब भी नाराज़गी, नाक पर बैठी है तुम्हारे?
आने वाला कल, जो अब बढ़ रहा है,
अपने अल्हड़ता की और,
और कब तक छुपाओगे मुझसे, और कैसे..?
बता ही दो न उसे सारा सच,
की हम में भी मोहब्बत थी,
इक ख़ुलूसी थी आंखों में,
बता दो न वो सच, जो दुनिया से छुपाया तुमने, और मैंने,
की था वो इक़रार ऐ मोहब्बत..
कोई बेवज़ह, नही करता ऐसे माना सब कुछ तुम्हारा,
पर बैठ कर समझते उन सारी परेशानियों को,
जो खाती रहती थी तुम्हे, तुम्हारे ही बनाये ताने बाने,...