...

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।।जब छोटी बहन घर से दूर जाती हैं।।
बचपन में साथ खेले , शरारत की और लड़ाई करके भी एक दूसरे को गले लगाया,
बहन तो बहन होती , माफ करो और दुबारा खेलो यही मा ने हमेशा सिखाया।
सोचा नही था कभी इतना दूर भी जाएगी,
कि उसकी आवाज अब सिर्फ फोन पर ही आएगी।
कभी अपनी हक की चॉकलेट के लिए चिल्लाती थी,
फिर मम्मी मुझसे दो पीस एक्स्ट्रा लेके उसे खिलाती थी।
सोचा नही था की यह बात सिर्फ याद बन जाएगी,
और याद इन्हें में करू तो मेरे मुख पर मुस्कान दे जाएगी।
पर तभी वो मुस्कान मायूसी का रूप ले लेती है,
क्योंकि अब मुझे मेरी छोटी बहन आंगन में खेलती हुई नही दिखाई देती है।
अब सिर्फ वो होली दीवाली ही घर आएगी ,
और बाकी दिन घर के आंगन को सुना करके वो तयारी के लिए बड़े शहर चली जाएगी।।






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