...

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ख़ुद को संभाला है.....✍️
कुछ ख़ामोश ज़ख्म,
लिए बैठें है न जानें कितने यहां,
आंखो में कई ख़्वाब अधुरे ,
लिए बैठें है न जानें कितने यहां,
होठों पर ख़ामोशी का साया,
लिए बैठें है न जानें कितने यहां,
कोई इश्क़ का सताया है,
तो कोई हालातों से हारा है,
किसी को सुकून की तलाश हैं,
तो कोई गमों का मारा है,
किसी की अपनों से जुदाई है,
कोई जिम्मेदारियों में सहारा है,
जो है जैसा भी है,
पर वो हिम्मत न हारा है,
जिंदगी के हर कदम में,
उसने ख़ुद को संभाला है ।

© भागेश्वरी उइके ✍️

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