' ढलती शाम '
ले रहा जमहाई डूबता सूरज,
मिटाने को दिन-भर की थकान,
चंदा की डोली, तारों की बोली,
संग आई देखो ढलती शाम!
सो चला जग छांव में तारों की,
चांदनी की देखो चादर तान,
कल उगेगा सूरज फिर नई उर्जा लेकर,
कराने को संग अपने सबसे काम!
फिर चहकेंगी चिड़ियाँ,...
मिटाने को दिन-भर की थकान,
चंदा की डोली, तारों की बोली,
संग आई देखो ढलती शाम!
सो चला जग छांव में तारों की,
चांदनी की देखो चादर तान,
कल उगेगा सूरज फिर नई उर्जा लेकर,
कराने को संग अपने सबसे काम!
फिर चहकेंगी चिड़ियाँ,...