...

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दिल के तार
दिल ही दिल में
दिलबर के नाम का जब
एक तार झृंकित होता है
यूं लगता है मानो सूफ़ी कोई
अपनी धुन में राग मल्हारी गाता है ।
हवा भी महकने लगती है
जब छू कर वो गुजरता है
मन कभी हिरण बन भरे कुलाचे
कभी पंछी बन कर उड़ता...