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उससे कुछ कहने का मन भी था,
उससे कुछ कहने का मन भी था,
अंदर से उफान पर मेरा डर भी था
उसे देखते रहने का मन भी था
उसे देखते कोई देख ना ले इसका डर भी था
उसके क़िरदार के क्या कहने
उसमें ढल जाने का मेरा प्रबल मन भी था
हौसलों की मुस्कान बिखेरती है वो
उसके मुस्कान में उतर जाने का मन भी था
उसके कुछ ना कहने का गम भी था
क्योंकि उसकी दोस्ती को खो देना डर भी था।
#writco
#writcopoem
#avquote
अंदर से उफान पर मेरा डर भी था
उसे देखते रहने का मन भी था
उसे देखते कोई देख ना ले इसका डर भी था
उसके क़िरदार के क्या कहने
उसमें ढल जाने का मेरा प्रबल मन भी था
हौसलों की मुस्कान बिखेरती है वो
उसके मुस्कान में उतर जाने का मन भी था
उसके कुछ ना कहने का गम भी था
क्योंकि उसकी दोस्ती को खो देना डर भी था।
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