...

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मेरा अस्तित्व
हाँ! मैं एक नारी हूँ, तेरी तरह
हर अधिकार की अधिकारी हूँ।
जितना संभव हो उससे अधिक सह सकती हूँ,
कहना चाहू तो हर किसी से कह सकती हूँ,
इसे मेरी कमज़ोरी नहीं,संस्कार समझना
पर कई जिंदगियो का सवाल है,
रहने को तो, तुमसे अलग भी खुश रह सकती हूँ।
कि कोई अहसान नहीं,बलिदान है ये मेरी आज़ादी का,
क्योकि एक पिता ने ब्याह किया था अपनी शहजादी का,
दुख हुआ है तो सिर्फ उनके अरमानो की बर्बादी का,
अब मेरी पहचान तेरे नाम से हो गई,
और दोस्ती तेरे घर के काम से हो गई।
दिन-रात चलती रहती वो घङी हूँ,
हर किसी को संभालने वाली छङी हूँ
कभी झुकी खुशियो के लिए,
तो कभी आत्म-सम्मान के लिए अङी भी हूँ
एक कदम तुमसे आगे रखा है मुझे बनाने वाले ने,
तभी तो दूनिया में किसी को ला संकू,इसीलिए ममता और हिम्मत से भी भरी हूँ।
कभी समझ सको, तो समझना
मैं! सब जज्बातों से रंगी एक रंगीन फुलझरी हूँ
हाँ! मैं एक नारी हूँ, तेरी तरह
हर अधिकार की अधिकारी हूँ
हाँ! मैं एक नारी हूँ,
© rana pinka