...

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गरज
©®@Devideep3612
चाहत तुम्हारी क्या मेरी गरज है ?
जरा तुम भी चाहो ये मेरी अरज है।

ये दौलत ये शोहरत, ये तख्तो ताज तेरे,
ना मेरी अरज है, ना गरज है ये मेरे ।
©®@Devideep3612
ये जो हमपे यूं बरसा, रहे हो जुल्म तेरे...,
मैं भी निबाह रहा हूं, वो फरज़ है जो मेरे ।

खता गुस्ताख निगाहोंकी, कुबूल कर तू तेरी,
चल मै भी मान लूंगा, हर कारगुजारी वो मेरी ।
©®@Devideep3612