...

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भाव के पंक्षी
अंतःकरण की प्यास को खुद के शब्दों से बुझा रहा हूं ,
डर लगता है असफल होने से , इसिलए असत्य सत्य को झुठला रहा हूं ।
इस भाव मे गरिमा के लिए उड़ना पड़ता है ,
अपने परों को खोल कर कुछ करना पड़ता है ,,
सामान्य की कोई पूछ नही है इस जग में , असामान्य होकर जीना पड़ता है ।
ये भाव के पंछी समझते नही की तेरे गिरने में तेरी हार नही तू इंसान है कोई अवतार नहीं ।
न...