...

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मैं हु तुम्हारी अंतरात्मा
सुनो, मैं जानती हु की आज शायद तुम कुछ नही हो,
शायद कोई तुम्हें नही समझता और ना ही तुम्हारी काबिलियत को,
पर तुम हार मत मानना क्योंकि यह दुनिया सिर्फ सफलता देखती है संघर्ष नही।
जब जब तुम्हे लगे की नही अब बस मैं और नही कर सकता,
तब खुदसे पूछना की क्या अगर मैने इसे अब छोड़ दिया तो क्या मैं बाद मैं पछताऊंगा तो नही।
अगर आवाज आई हा पछतावा होगा तो लग जाओ फिर उस काम मैं।
मैं जानती हु यह एक बार मैं नही होगा , पर एक ना एक दिन जरूर होगा।

© khushpreet kaur