...

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मौसम का मिज़ाज
कभी ठंड कभी गर्मी कभी होती है बरसात
मौसम के शतरंज की ,बिछती रहती है बिसात।

ठंडी में कोहरे का आलम
ना नहाने का भी नहीं होता किसी को गम
कम्बल और रजाई अलाव ने धूम मचाई
कभी कभी भूले बिसरे ही, देती है धूप दिखाई
हो जाती है ठंडी में, चाय कॉफ़ी पर बात ख़तम।

बसंत की होती है सबसे खूबसूरत कहानी
ना ज्यादा ठंडी ना ज्यादा गर्मी ना बरसता है पानी
मौसम शुरु हुआ कि ,छा जाता है सब पर प्यार का खुमार
खिले हुए...