...

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नहीं बनना मुझे तुम जैसे
कहते है सब ,
दिखती हूं मैं तुम जैसी ,
पर बनना नहीं है मुझे तुम्हारी परछाई हो वैसी ,
सब बुराईयां खुद में लेकर ,
नहीं हो तुम एक अच्छा इंसान हो जैसे ,
नहीं बनना मुझे तुम जैसे ,
अपनी ज़िन्दगी से खुशियां दूर करके वैसे ।

बनना चाहती हूं एक अच्छा इंसान मैं ,
जो हो ना तुम अपनी परछाई में भी ,
हो जाना चाहती हूं मैं तुम्हारे इन सायो से दूर ,
मंजूर नहीं मुझे तुम्हारा गुरूर ।

छोटी सी खुद की ज़िन्दगी पाना चाहा था मैंने ,
पर बार बार तोड़ दिया तुमने ये सपने मेरे ,
आखिर चाहते क्या हो ,
रहे मेरी ज़िन्दगी भी दूर सभी खुशियों से ,
तरप तरप कर जीउ मैं भी तुम्हारे जैसे ,
आंखों में भरे रहे ये आसू सदा तुम रहते हो वैसे।

- Divya Soni
(expressed_emotions)