कोरोना ; एक महामारी
रूक नहीं रही है, कोरोना की रफ्तार,
लोग इनके शिकार हो रहे हैं लगातार।
हर गांव, हर शहर और हर देश में फैला है इनका कहर,
श्मशान बन रहे हैं , शहर के शहर।
शुरुआत तो चीन से हुई, अंत कहां से होगी पता नहीं,
डर है, पृथ्वी पैसे खत्म ना हो जाए मानव का अस्तित्व कहीं?
विश्व की महाशक्ति भी मजबूर है घुटने देखने के लिए,
हाल यह है कुछ देशों में, लोग नहीं है लाश फेंकने के लिए।
कोरोना वायरस में अमेरिका, ईरान की निकाल दी हवा,
डॉक्टर निरंतर प्रयासरत है, फिर भी नहीं ढूंढ पाई दवा।
सतर्कता है इनकी रोकथाम का उपाय, हमारी एक लापरवाही, ऐसा जख्म देगा जिनकी ना हो पाएगी भरपाई।
कोरोना वायरस के जरा भी दिखे संकेत,
डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और हो जाए सचेत।
अगर आपको अपने और अपने परिवार की जिंदगी प्यारी है,
कोरोना का मजाक उड़ाना छोड़ कर, दिखानी आपको समझदारी है।
संकट का वक्त है, समझदारी दिखानी होगी,
भारत क्या चीज है, दुनिया को बतानी होगी।
लॉक डाउन का पालन करें, समय की मांग है यही,
करे वही, जो देश के हित में हो सही।
डॉक्टर काम पर है, क्योंकि भारतवासी ही उसका परिवार है,
तो क्या आप उनके समर्थन के लिए नहीं तैयार हैं?
क्या भगवान हमसे रुष्ट हो चुके हैं, या हम लोग दुष्ट हो चुके हैं,
डॉक्टर देवता समतुल्य है, घृणा के लायक नहीं,
नायक है इस वक्त के, कोई खलनायक नहीं।
फूल फेंकने के बजाय पत्थर फेंकते हैं,
वह हमारे सेवा में हैं, फिर ऐसा क्यों करते हैं?
मास्क और सैनिटाइजर को उपयोग में लाएं,
लोगों से ना हाथ मिलाए, आपस में दूरी बनाएं।
जरूरी नहीं मस्जिदों में ही खुदा की इबादत हो,
मजहब नहीं, इंसानियत के नाते घर बैठ कर ही इबादत हो।
हमेशा शहादत मस्जिदों के लिए नहीं, कभी इबादत घर बैठकर भी दी जाती है,
बंदा नहीं हो तो उनकी फरियाद कहीं से भी सुन ली जाती है।
भगवान को भी कुछ दिनों के लिए अपने ही घर बुला लो,
मंदिर से निकालकर, दिल में बसा लो।
भगवान भाव के भूखे हैं, आडंबरों के नहीं,
पूजा तो घर में भी कर सकते हैं, भगवान तो व्याप्त है हर कहीं।
छोड़ दो विदेशी संस्कृति, अपना लो पुनः अपनी संस्कृति को,
हाथ मिलाना छोड़ कर, पुनः शुरू करो नमस्ते करने की रीति को।
भीड़ नहीं, हमें जरूरत है एकांत,
भारत को शांति के लिए, रहना पड़ेगा शांत।
हमारे बीच फासले जरूरी है, परंतु यह अलगाव नहीं है,
कोरोना से बचने का उपाय यही है।
माना कोरोना का खतरा बड़ा है,
परंतु भारत में एक साथ खड़ा है।
भारत जब संगठित होता है,
हर बड़ी से बड़ी समस्या, घुटने टेकने को बाधित होता है।
संकट के इस विषम काल में, सरकार के निर्देशों का पालन करना होगा हर हाल में,
तभी अस्तित्व संभव है हमारा, आने वाला काल में।
लोग इनके शिकार हो रहे हैं लगातार।
हर गांव, हर शहर और हर देश में फैला है इनका कहर,
श्मशान बन रहे हैं , शहर के शहर।
शुरुआत तो चीन से हुई, अंत कहां से होगी पता नहीं,
डर है, पृथ्वी पैसे खत्म ना हो जाए मानव का अस्तित्व कहीं?
विश्व की महाशक्ति भी मजबूर है घुटने देखने के लिए,
हाल यह है कुछ देशों में, लोग नहीं है लाश फेंकने के लिए।
कोरोना वायरस में अमेरिका, ईरान की निकाल दी हवा,
डॉक्टर निरंतर प्रयासरत है, फिर भी नहीं ढूंढ पाई दवा।
सतर्कता है इनकी रोकथाम का उपाय, हमारी एक लापरवाही, ऐसा जख्म देगा जिनकी ना हो पाएगी भरपाई।
कोरोना वायरस के जरा भी दिखे संकेत,
डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और हो जाए सचेत।
अगर आपको अपने और अपने परिवार की जिंदगी प्यारी है,
कोरोना का मजाक उड़ाना छोड़ कर, दिखानी आपको समझदारी है।
संकट का वक्त है, समझदारी दिखानी होगी,
भारत क्या चीज है, दुनिया को बतानी होगी।
लॉक डाउन का पालन करें, समय की मांग है यही,
करे वही, जो देश के हित में हो सही।
डॉक्टर काम पर है, क्योंकि भारतवासी ही उसका परिवार है,
तो क्या आप उनके समर्थन के लिए नहीं तैयार हैं?
क्या भगवान हमसे रुष्ट हो चुके हैं, या हम लोग दुष्ट हो चुके हैं,
डॉक्टर देवता समतुल्य है, घृणा के लायक नहीं,
नायक है इस वक्त के, कोई खलनायक नहीं।
फूल फेंकने के बजाय पत्थर फेंकते हैं,
वह हमारे सेवा में हैं, फिर ऐसा क्यों करते हैं?
मास्क और सैनिटाइजर को उपयोग में लाएं,
लोगों से ना हाथ मिलाए, आपस में दूरी बनाएं।
जरूरी नहीं मस्जिदों में ही खुदा की इबादत हो,
मजहब नहीं, इंसानियत के नाते घर बैठ कर ही इबादत हो।
हमेशा शहादत मस्जिदों के लिए नहीं, कभी इबादत घर बैठकर भी दी जाती है,
बंदा नहीं हो तो उनकी फरियाद कहीं से भी सुन ली जाती है।
भगवान को भी कुछ दिनों के लिए अपने ही घर बुला लो,
मंदिर से निकालकर, दिल में बसा लो।
भगवान भाव के भूखे हैं, आडंबरों के नहीं,
पूजा तो घर में भी कर सकते हैं, भगवान तो व्याप्त है हर कहीं।
छोड़ दो विदेशी संस्कृति, अपना लो पुनः अपनी संस्कृति को,
हाथ मिलाना छोड़ कर, पुनः शुरू करो नमस्ते करने की रीति को।
भीड़ नहीं, हमें जरूरत है एकांत,
भारत को शांति के लिए, रहना पड़ेगा शांत।
हमारे बीच फासले जरूरी है, परंतु यह अलगाव नहीं है,
कोरोना से बचने का उपाय यही है।
माना कोरोना का खतरा बड़ा है,
परंतु भारत में एक साथ खड़ा है।
भारत जब संगठित होता है,
हर बड़ी से बड़ी समस्या, घुटने टेकने को बाधित होता है।
संकट के इस विषम काल में, सरकार के निर्देशों का पालन करना होगा हर हाल में,
तभी अस्तित्व संभव है हमारा, आने वाला काल में।