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कुछ दिन पहले।
कुछ दिन पहले हमारा बचपन था,
हम मस्ती में रहते थे,
ना कोई डर था,
ना कोई फिकर,
मिट्टी के खिलौने बनाते थे,
खट्टे- मीठे आम और इमली,
सहेलियों के संग खूब खाते थे,
बहुत खूबसूरत था बचपन हमारा,
सहेलियों की टोली होती थी,
दादी मां की कहानी होती थी,
नीम के पेड़ के नीचे खूब खेलते थे,
काश! वो पल फिर से जी पाते,
बचपन की बातें आज भी याद आती है,
बचपन गया अब तो जिम्मेदारियों ने हाथ पकड़ लिया है,
कुछ दिन पहले हमारा बचपन था,
हम मस्ती में रहते थे।
हम मस्ती में रहते थे,
ना कोई डर था,
ना कोई फिकर,
मिट्टी के खिलौने बनाते थे,
खट्टे- मीठे आम और इमली,
सहेलियों के संग खूब खाते थे,
बहुत खूबसूरत था बचपन हमारा,
सहेलियों की टोली होती थी,
दादी मां की कहानी होती थी,
नीम के पेड़ के नीचे खूब खेलते थे,
काश! वो पल फिर से जी पाते,
बचपन की बातें आज भी याद आती है,
बचपन गया अब तो जिम्मेदारियों ने हाथ पकड़ लिया है,
कुछ दिन पहले हमारा बचपन था,
हम मस्ती में रहते थे।
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