...

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उड़ान
मयस्सर लाख ऊंचाई हो,
दफन जमीन में ही होना है।
जीवन भर करना कोशिश है,
हिसाब में क्या पाना क्या खोना है।

आज प्रेम करते हो,
कल पलके भिगोना है।
शरीर इंसान का लेकर,
फिर भी इंसान होना है।।

शेष बहुत कुछ रह जाता है,
यही जीवन का रोना है।
तुम फासलों से गुजरते होगे,
यहां अपनों का बिछौना है।।

हाथ मिल जाते हैं मगर,
दिल नहीं मिलते।
गजब की दुनिया है,
गजब का यहां होना है।।

बात जुबान से होती है,
फासले अंतर मन के।
सचमुच लगती है जिंदगी,
जैसे कोई जादू टोना है।।

शिद्दत की बात करके,
मुद्दत बिता दिए हम।
जो गुजर गए हालात,
उन्हीं को प्यार से ढोना है।।

लाख ऊंचाई पर थ,
उतर आए हैं अब जमीन पर।
आखिरी उम्मीद इतनी बस,
जमीन का ही होना है।


© Dr.parwarish