...

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स्त्री हूं मैं
स्त्री हूं मैं, एक रूहानी कहानी हूं मैं,
जो समझा मुझे उसके लिए सुहानी हूं मैं ।

जीवन की हर डगर पर हंसती रवानी हूं मैं,
बढूं तो उगता सूरज, ठहरु तो शाम मस्तानी हूं मैं ।

स्त्री हूं , दुखों की पहचान खुशियों की निशानी हूं मैं,
प्रतिभा की धनी और सफलता की रानी हूं मैं ।

कभी ठहरी सी नदी तो कभी चंचल बहता पानी हूं मैं ,
सपनो के लिए लड़ती हुई झांसी मर्दानी हूं मैं ।

रूपवान तो , कभी दागदार कहानी हूं मैं ,
स्त्री हू मैं , अपने ही वजूद की दीवानी हूं मैं ।
© Pearl