...

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मन की बात
खुशनुमा दिन की शुरुआत थी,
सुबह- सुबह की बात थी।
आज उससे मिलना था,
तैयार हुआ,
क्योंकि बेहतर दिखना था।
पहुंचा निश्चित समय और स्थान पर,
मुँह पर था मास्क और हाथ सैनिटाइज कर।
मेरे मुख की प्रसन्नता को,
मेरी आंखे झलका रही थी।
उस लाल परिधान में,
वह क्या गजब कहर बरपा रही थी।
मानो दे रही हो,
किसी अनचाही घटना का संदेश।
सामाजिक दूरी से लैस था,
रेस्टोरेंट का परिवेश।
सुरक्षा के मापदंड देख,
खुद को सुरक्षित महसूस करने लगा।
मास्क को मुख से हटा,
गले की ओर लाने लगा।
कर्मचारी...