...

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कल भले कुछ न था पर .....
कल भले कुछ न था ,पर संस्कार बड़ा बनाते थे।
कुछ गलत करने से पहले ही,बडो के कर्म याद आते थे।
वो भी क्या दिन थे जब घर से दूर कोई जाते थे।
चिट्ठी भले आज लिखी हो,हप्तो बाद पढ़ पाते थे।
दूर भले ही रहते थे,पर अपने करीब ही पाते थे।
कल भले कुछ न था, पर संस्कार बड़ा बनाते थे।