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दादी माँ
ये खूबसूरत नाता
जो बचपन की याद दिलाता
गर्मी की छुट्टियां हमको एक दूसरे के करीब लातीं
छुट्टियां ख़त्म ही वो मुझ से दूर हो जातीं
दादी माँ मेरी सबसे प्यारी
उनकी मैं दुलारी
मुझे वो बहुत सहलाती
अच्छी कहानियां सुनाती
वो जी लेती थी अपना बचपन बन कर मेरी सहेली
उनकी आंखें थी गहरी और नीली
मैं बोलूँ दादी माँ आप के सुनहरे बाल
जो मुझे लगे कमाल
दादी माँ मेरे पीछे
मैं दादी माँ के पीछे
फिर रात में आसमान के नीचे
बैठ कर वो सुनायें किस्से
याद मुझे आती हैं उनकी
पर मेरी हैं कितनी मजबूरी
नहीं जा पाती उनके पास
बस यादों में उनको बुलाती अपने पास 🙁🙁😖।।
- अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी -
© Anki
जो बचपन की याद दिलाता
गर्मी की छुट्टियां हमको एक दूसरे के करीब लातीं
छुट्टियां ख़त्म ही वो मुझ से दूर हो जातीं
दादी माँ मेरी सबसे प्यारी
उनकी मैं दुलारी
मुझे वो बहुत सहलाती
अच्छी कहानियां सुनाती
वो जी लेती थी अपना बचपन बन कर मेरी सहेली
उनकी आंखें थी गहरी और नीली
मैं बोलूँ दादी माँ आप के सुनहरे बाल
जो मुझे लगे कमाल
दादी माँ मेरे पीछे
मैं दादी माँ के पीछे
फिर रात में आसमान के नीचे
बैठ कर वो सुनायें किस्से
याद मुझे आती हैं उनकी
पर मेरी हैं कितनी मजबूरी
नहीं जा पाती उनके पास
बस यादों में उनको बुलाती अपने पास 🙁🙁😖।।
- अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी -
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