जिजीविषा जीने की
जिजीविषा जीने की इच्छा, क्यो हो उसे
जिसने कभी अपने सपनो को दफ्नाया हो,
घंटो रो रो कर, खुद को खुद से समझाया हो,
आदि से अंत के सफ़र को दर्द की कराह मे बिताया हो.
क्या दोष उसका, जिसने दुसरो की ख़ुशी ,मे खुद का गम बढ़ाया है,
श्रेष्ठ नही वो किसी से भी, पर कृत्य से समाज़ को श्रेष्ट्टं बनाया है,
© Life is beautiful
जिसने कभी अपने सपनो को दफ्नाया हो,
घंटो रो रो कर, खुद को खुद से समझाया हो,
आदि से अंत के सफ़र को दर्द की कराह मे बिताया हो.
क्या दोष उसका, जिसने दुसरो की ख़ुशी ,मे खुद का गम बढ़ाया है,
श्रेष्ठ नही वो किसी से भी, पर कृत्य से समाज़ को श्रेष्ट्टं बनाया है,
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