...

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मैं चाहता हूं 💓
मैं कब कहता हूं मेरी हर बात माने वो,
जब कोई नही समझता मुझे तब जाने वो।

खो चुका हूं जब अपनो में ही कहीं गुमशुदा सा मैं,
मेरा हाथ पकड़कर उस महफील में अपनाए वो।

सारा जहान जब सुना–सुना सा लगता है,
ऐसे में बाहों में भरकर अपनी आवाज़ सुनाए वो।

कदमों में ज़ोर नही हो, चलने को कोई ठौर नहीं हो,
सांझ की तरह थमकर, सुबह अपने साथ जगाए वो।

मैं कब कहता हूं सारी उम्र मेरे साथ रहे वो,
उसके बाद भी रह सकूं, कुछ ऐसे पल बिताए वो।

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