हे रघुनाथ घट घट के वासी
हे रघुनंदन दशरथ नंदन, हे रघुनाथ घट घट के वासी,
राम लला तेरे दरस को तरसे, हम सभी भारत वासी।
सदियों बाद अब पूर्ण हुआ, भारत का जो सपना था,
अवध नगर में राम लला का, पूर्ण रूपेण स्थापना था।
अपने भारत देश में रहकर, हम बने हुए थे वनवासी,
राम लला तेरे दरस को तरसे, हम सभी भारत वासी।
सीता मैया को हरकर, जो अपने अभिमान में ऐंठा था,
चंद्रहास शक्ति के बल पर, लंका में छुपकर बैठा था।
उसी तरह ...
राम लला तेरे दरस को तरसे, हम सभी भारत वासी।
सदियों बाद अब पूर्ण हुआ, भारत का जो सपना था,
अवध नगर में राम लला का, पूर्ण रूपेण स्थापना था।
अपने भारत देश में रहकर, हम बने हुए थे वनवासी,
राम लला तेरे दरस को तरसे, हम सभी भारत वासी।
सीता मैया को हरकर, जो अपने अभिमान में ऐंठा था,
चंद्रहास शक्ति के बल पर, लंका में छुपकर बैठा था।
उसी तरह ...