सब मजाक था
यूँ तो मैंने कभी सोचा नहीं था..
ना चाहां था...
बस सब मजाक बनता गया..
कभी घर से बेघर हुआ,
कभी लौटकर घर गया..
बड़ी अजीब दास्ताँ है...
ना चाहां था...
बस सब मजाक बनता गया..
कभी घर से बेघर हुआ,
कभी लौटकर घर गया..
बड़ी अजीब दास्ताँ है...