...

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आग का फलसफा
जली आग देखा तो बेचैन आहे।
कोई जलाए तो कोई बुझाई।

चिरागों को हमने कहीं जलते देखा।
देखा मसाले गई है बुझाई।

अजब फलसफा है इस आग का
कई घर बनाए कई घर मिटाए।

कभी घर का चूल्हा चले है इसी से।
कभी ये शमशान में तुमको जलाए।
© abdul qadir