#अफसाना_लिख_रही_हूँ#
अफसाना लिख रही हूँ ,तुझ से मिलन की आस का,
हर लफ्ज़ में बसा हुआ, तेरा ही ख्वाब लिख रही हूँ मैं।
नज़रों में तेरी सूरत का हरपल छाया एक नशा सा है,
मेरी साँसो में बसे, तेरे सांसों के अहसास लिख रही हूँ।
चाहत की राहों में बिछे हैं अरमानों के बेहिसाब फूल,
मेरा हर लम्हा मुन्तज़िर मैं तेरा...
हर लफ्ज़ में बसा हुआ, तेरा ही ख्वाब लिख रही हूँ मैं।
नज़रों में तेरी सूरत का हरपल छाया एक नशा सा है,
मेरी साँसो में बसे, तेरे सांसों के अहसास लिख रही हूँ।
चाहत की राहों में बिछे हैं अरमानों के बेहिसाब फूल,
मेरा हर लम्हा मुन्तज़िर मैं तेरा...