तेरे पास होकर भी मैं बहुत दूर था
तेरे पास होकर भी
मैं बहुत दूर था
क्या कहूं मैं
ऑफिस क्या मुझे मजबूर था
मैं चाहता था
तुम्हें विदाई करना
लेकिन मेरे सर पर
काम अथाह भरपूर था
तेरे पास होकर,,,,,,
नैन भिगोकर क्या करोगी
मैं एक मजदूर था
तुम्हारे और हमारे बीच के फासले
थोड़ा बहुत नहीं 65km दूर था
तेरे पास होकर,,,,,,
कितना गाड़ी भगाऊं
मैडम थक कर चकनाचूर था
संडे को भी ना दिया आराम
सर पर चुनाव का सुरूर था
तेरे पास होकर,,,,,,
पवन जी कि दिल की बात मेरी कलम से
संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar
मैं बहुत दूर था
क्या कहूं मैं
ऑफिस क्या मुझे मजबूर था
मैं चाहता था
तुम्हें विदाई करना
लेकिन मेरे सर पर
काम अथाह भरपूर था
तेरे पास होकर,,,,,,
नैन भिगोकर क्या करोगी
मैं एक मजदूर था
तुम्हारे और हमारे बीच के फासले
थोड़ा बहुत नहीं 65km दूर था
तेरे पास होकर,,,,,,
कितना गाड़ी भगाऊं
मैडम थक कर चकनाचूर था
संडे को भी ना दिया आराम
सर पर चुनाव का सुरूर था
तेरे पास होकर,,,,,,
पवन जी कि दिल की बात मेरी कलम से
संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar