ये शाम आई है.....
इश्क का पैगाम लेकर ये शाम आई है,
आँखों में भर कर मय के जाम लाई है।
ये हसीन मंज़र देखना था नसीब में मेरे,
मसर्रत-ए-ज़ीस्त लेकर मेरे नाम आई है।
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आँखों में भर कर मय के जाम लाई है।
ये हसीन मंज़र देखना था नसीब में मेरे,
मसर्रत-ए-ज़ीस्त लेकर मेरे नाम आई है।
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