...

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नाराजगी की बुँदे
हम खोये से रहते हैं,

किसी अंजान नगर की गलियों में,

हम सोये से रहते हैं,

अपने हीं दर्द के दामन में,

टुटा हारा दिल कहाँ,

बेसुरा राग गुनगुनाए,

चोट दिल की दहलीज़ पे,

हकुमत जमा के बैठी हैं,

नाराजगी की बुँदे ,

यु छेड़ी आसमानो में,

मानो घर घर जाकर खबरें छपने लगी

इतिहास के पन्नों की......



#Life&Life #writcoapp
© pb

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