नाराजगी की बुँदे
हम खोये से रहते हैं,
किसी अंजान नगर की गलियों में,
हम सोये से रहते हैं,
अपने हीं दर्द के दामन में,
टुटा हारा दिल...
किसी अंजान नगर की गलियों में,
हम सोये से रहते हैं,
अपने हीं दर्द के दामन में,
टुटा हारा दिल...