आखरी पैगाम
अरसा हुआ अब तो
बरसों बीत गए अब तो
रूक्षत हुआ तु मुस्कुराते हुए
बिखर के जो जुड़ा था फिर बिखरा हुआ हूं
मुस्किल है तुझे ज़ेहेन से जुदा करना
मुस्किल है बड़ा तेरे यादों का कारवां लेके चलना
जिस्म भी वही है मैं भी वहीं हूं
ना है रूह वही ना है मैं सही
अश्क भी अब तो रो देते हैं वक्त बेवक्त
ले तेरा नाम
दिल...
बरसों बीत गए अब तो
रूक्षत हुआ तु मुस्कुराते हुए
बिखर के जो जुड़ा था फिर बिखरा हुआ हूं
मुस्किल है तुझे ज़ेहेन से जुदा करना
मुस्किल है बड़ा तेरे यादों का कारवां लेके चलना
जिस्म भी वही है मैं भी वहीं हूं
ना है रूह वही ना है मैं सही
अश्क भी अब तो रो देते हैं वक्त बेवक्त
ले तेरा नाम
दिल...