समय की रफ्तार
बीना मौसम के बारिश अब कहाँ ही हुआ करती है
खेतों में लहलहाते फसल अब कहाँ ही दिखा करते हैं
व्यस्त है हर कोई अपनी ही एक नई दुनियाँ में
कहाँ कोई अब किसी की परवाह किया करता हैं
सच का समंदर खाली,झूठ का समंदर भरता जा रहा है
कहाँ कोई अब...
खेतों में लहलहाते फसल अब कहाँ ही दिखा करते हैं
व्यस्त है हर कोई अपनी ही एक नई दुनियाँ में
कहाँ कोई अब किसी की परवाह किया करता हैं
सच का समंदर खाली,झूठ का समंदर भरता जा रहा है
कहाँ कोई अब...