...

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🥺अनकहे दर्द़ 🥺
कोई समझा ही नहीं,मेरे जज़्बातों को
मैं सहती और समझती रही, हर हालातों को
टूट के चकनाचूर हो जाता है मेरा भी हौसला
बहती है फिर अकेलेपन में नदियां मेरी आंखों से..

दर्द में भी संभाल के होश मैं मुस्कुराती हूं
मैं ही जानती हूं की मेरा दिल नहीं करता
ऐसी मुस्कुरा़हट मुस्कुराने को..

परेशां कर रख़ा है, कुछ बातों ने इस क़द्र
कि "khushi" की रूह भी कांप रही है
सोच के उन अल्फ़ाजों को।

शिवानी सूर्यवंशी खुशी