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नारी सशक्तीकरण
शुभ हो जीवन मंगलकारी
तो ही तो कुछ बात बने
नारी शक्ति की बात करें
मात्र इससे क्या बात बनें
नारी सशक्तीकरण हुआ तो
घर घर में पहचान हुई
बर्तन चूल्हा मात्र नहीं वो
देवी रुप भगवान हुई
घर की चौखट लांघ चली वो
सपने पूरे करने को
लेकिन इसकी क्या प्रत्याभूति
खड़ा नहीं कोई भी रावन
उसकी इज्जत छलने को
पंख मिले पर उड़ नहीं सकती
बंदिश की बेड़ी में जकड़ी
यहां उठो और यहां ना बैठो
कैसी यह हिस्सेदारी
शुभ हो जीवन मंगलकारी
तो ही तो कुछ बात बने
नारी शक्ति की बात करें
मात्र इससे क्या बात बनें
मुस्कान का माप लगाते
वस्त्रों का हिसाब लगाते
खुद की सोच, नजरिए में
बदलाव करें तो बात बने
नारी शक्ति की बात करें
मात्र इससे क्या बात बनें
घर से दफ्तर तक वो बैठी
उसने लिया सभी जिम्मा
क्या मर्दों का फर्ज नहीं है
थोड़ा दें उनको सम्मान
आज अपनी मां ,बेटी, पत्नी
पर भी कर लें, कुछ अभिमान
मुस्कान भर मुख पर अपने
गर्व भाव से खुद ये बोले
आज नहीं तुम अबला नारी
शुभ हो जीवन मंगलकारी
तो ही तो कुछ बात बने
नारी शक्ति की बात करें
मात्र इससे क्या बात बनें।
अन्त में इतना कहना मुझको
नारी तुम श्रृद्धा हो यदि तो
तो श्रृद्धा का रुप धरो
शक्ति का आशय शक्ति है
इसका ना दुरूपयोग करो
शक्ति के अर्थों को समझो
तो ही तो कुछ बात बने
नारी शक्ति की बात करें
मात्र इससे क्या बात बनें।।












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