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~वो शख़्स~
वो शख्स एक अजब पहेली था
आँखों मे समंदर, चेहरे पर मासूमियत लिए था
सूरज उसे देख कर पीला पड़ता था
जिस पल झूम के वो निकलता था
उसको अपने साए से डर लगता था
सोच कर सहरा में वो तन्हा रहता था
आते जाते मौसम उसे डरा जाते थे
हँसते- हँसते पलकों से वो रो पड़ता था
आधी रात गवाई चुप रह कर
आधी रात चाँद से बातें करता था
था वो परवाना मगर
शम्मा की तरह जलता था
एक तस्वीर जो दिल मे बसी थी
उसे सब से छुपाया करता था
हर सांस मेरी उसका इंतज़ार करेगी
सिसकियां भर कर बताया करता था..... !!
© Anu Mathur
आँखों मे समंदर, चेहरे पर मासूमियत लिए था
सूरज उसे देख कर पीला पड़ता था
जिस पल झूम के वो निकलता था
उसको अपने साए से डर लगता था
सोच कर सहरा में वो तन्हा रहता था
आते जाते मौसम उसे डरा जाते थे
हँसते- हँसते पलकों से वो रो पड़ता था
आधी रात गवाई चुप रह कर
आधी रात चाँद से बातें करता था
था वो परवाना मगर
शम्मा की तरह जलता था
एक तस्वीर जो दिल मे बसी थी
उसे सब से छुपाया करता था
हर सांस मेरी उसका इंतज़ार करेगी
सिसकियां भर कर बताया करता था..... !!
© Anu Mathur
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