...

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अजीब दास्ताँ
ग़म- ए- ज़िंदगी की अजीब दास्ताँ सुनाएं किसको,
सीने में भरा है दर्द का एक आसमाँ दिखाएं किसको।

मयस्सर नहीं अब तो खुशी का एक भी पल,
गुज़रे हैं हम पर कैसे-कैसे इम्तिहाँ बताएं किसको।

किसी के हिज़्र में रहती हैं हर पल...