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है...?!
कभी-कभी थक जाते हैं...
कि क्या है जिंदगी
ठहर जाने को जी चाहता है
कि क्यों नहीं वो जिसे
हमनें मोहब्बत पेश किया है
वह जिसे इतनी अहमियत
दिया था हमने और जिया है
शिकायत अपने से है
तुम्हारा तो सिर्फ एक स्वप्न है
जो हमने रोज़ जिया
लेकिन वह पुरा नही पाया है
है एक मोहब्बत, हुई थी
लेकिन वक्त सब सही कर जाता है
यही अब सोच अपना हाथ पकड़ कर चल दिया है।
© sritika
कि क्या है जिंदगी
ठहर जाने को जी चाहता है
कि क्यों नहीं वो जिसे
हमनें मोहब्बत पेश किया है
वह जिसे इतनी अहमियत
दिया था हमने और जिया है
शिकायत अपने से है
तुम्हारा तो सिर्फ एक स्वप्न है
जो हमने रोज़ जिया
लेकिन वह पुरा नही पाया है
है एक मोहब्बत, हुई थी
लेकिन वक्त सब सही कर जाता है
यही अब सोच अपना हाथ पकड़ कर चल दिया है।
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