#साधु क्या वो राक्षस है
स्वार्थी स्वार्थ के लिए बने रे साधु
बोले रे मीठा वो ऐसा मुँह से टपके रे मधु
बोलो कैसे पहचानो साधु क्या वो राक्षस है
मन्न का कोमल वो अभागा
अपनी देह प्रवत्ति से विवश है
बोलो कैसे पहचानो क्या अमृत क्या विष है
दुनिया देखे वो मानले सच
झूट का चोला कवच है
बोलो कैसे पहचानो क्या झूट क्या सच है
भीड़ का समुन्दर है गहरा
नेत्रहीन आते यहाँ पैसो की यहाँ चमक है
बोलो कैसे पहचानो क्या प्रकाश क्या अँधेरा
कहते है जिसे वो दानव लांगी नहीं उसने कभी मर्यादा
बनके बैठे है जो साधु भूलगए वो क्या चरित्र है
बोलो कैसे पहचानो साधु क्या वो राक्षस है
© khush rang rina
बोले रे मीठा वो ऐसा मुँह से टपके रे मधु
बोलो कैसे पहचानो साधु क्या वो राक्षस है
मन्न का कोमल वो अभागा
अपनी देह प्रवत्ति से विवश है
बोलो कैसे पहचानो क्या अमृत क्या विष है
दुनिया देखे वो मानले सच
झूट का चोला कवच है
बोलो कैसे पहचानो क्या झूट क्या सच है
भीड़ का समुन्दर है गहरा
नेत्रहीन आते यहाँ पैसो की यहाँ चमक है
बोलो कैसे पहचानो क्या प्रकाश क्या अँधेरा
कहते है जिसे वो दानव लांगी नहीं उसने कभी मर्यादा
बनके बैठे है जो साधु भूलगए वो क्या चरित्र है
बोलो कैसे पहचानो साधु क्या वो राक्षस है
© khush rang rina