...

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"जिंदगी की तलाश"

ना जाने कौन-सी ? कशमकश मैं है मेरी "जिंदगी" , यह बेजुबा-सा वक्त क्यों ? इस तरह गुजर रहा है.....
आजमाइश तो है मुझे भी खुलकर जीने की, फिर यह मेरे ख्वाबों के "दौर" से कौन-सा? अरमान खो रहा है.....
है कुछ इस तरह से मुझे मेरी "जिंदगी की तलाश "...,
पर मैं नाकाम हूं , ए.. "खुदा" ऐसा क्या ? मुझसे हर बार कुछ नजरअंदाज हो रहा है......!!


बड़ी फुर्सत से सवार रही हूं मैं, मैं मेरी "जिंदगी" को , फिर यह कौन- सा ? मेरा ख्वाब सो रहा है.....
मस्त मौला फिरना है मुझे , पर यह ख्वाब भी हर बार की तरह क्यों ? टूट रहा है....
परख रहा है, हर मोड़ पर यह बेवफाह जमाना मुझे ......,
जरा छू-कर देखो मेरे आंसुओं को, यह दूर से क्यों ? "अतिशयोक्ति" का माहौल हो रहा है ......!!


उलझ रही है मेरी "जिंदगी", ना जाने किसकी? तमन्नाओं को सवारने में , सब कुछ इतना जल्दी में क्यों? गुजर रहा है ...
हर पल को तड़प के जीना, "खुदा कसम" यह गम- ए- एहसास भी मुझे "क्या" मजेदार हो रहा है....
तन्हाइयों और रुसवाईयों-सी "बेबस" हालत हुई है मेरी.....
अब और कैसी? "जिंदगी की तलाश" है मुझे , बस इसी "सवाल" के सोच में यह मेरा "दिल" रो रहा है….....
मेरा "दिल" रो रहा है.....!!

___ जानकी कुंवर
26.12.22(7:00AM)
@jankikunwar23
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